शिक्षक नियोजन के नाम पर बिहार सरकार जो नौटंकी कर रही है उसके बारे में न तो मीडिया और ना हीं कोई राजनितिक दल आबाज उठा रहा है। एक सच आपके सामने रख रहा हूँ, जितने शिक्षक की जरूरत है करीब उतने हीं tet परीक्षा में सफल भी हुए हैं । लेकिन उन्हें जॉब के लिए ज्यादा से ज्यादा पंचायत, प्रखंड, नगर निगम, नगर परिषद् आदि में अपना आबेदन जमा करना होगा, अन्यथा कहीं पर तो जगह खली रह जायेगा और कही पर अभ्यर्थी बिना जॉब के रह जायेंगे । बिहार में कुल 8463 पंचायत , 534 प्रखंड हैं , यदि एक अभ्यर्थी कम से कम 10 जगह पर आबेदन करता है तो उसका खर्च का अनुमान कीजिये, 40 रु आबेदन एवं डाक टिकट का, सेल्फ जमा करने पर भारा अन्यथा स्पीड पोस्ट का खर्च करीब 30 रु, अर्थात एक आबेदन पर 70 रु का खर्च, एक अभ्यर्थी पर 700 रु का खर्च । कुल एक लाख पचास हजार आबेदन पर 10 करोर 50 लाख का खर्च आपको वहन करना होगा । क्या इसका दोसरा रास्ता नहीं था , जी हाँ बिलकुल था , सभी सफल अभ्यर्थी का ऑनलाइन डाटा उप्लब्ध था केवल उनसे ऑनलाइन बिकल्प मांगना था , लेकिन इससे लोगो को गलत करने और घूस कमाने का मौका नहीं मिलता, शायद यही बजह रही होगी की लोगो को परेसान एवं पुरे बिहार की सैर कराइ जाये ।
sikshak niyojan ya nautanki
11 years ago